Article 370 kya hai : आर्टिकल 370 क्या है और इसे किसने लागू किया था ? ,क्यूँ हटाया गया ? , धारा 370 को किसने हटाया ?, धारा में गलत क्या है ? , कब लागू किया गया ? , आर्टिकल 370 को कौन हटा सकता है ?
आखिर सुना ही दिया जजों ने 370 आर्टिकल पर फैसला, कोर्ट ने इस फैसले को सही साबित कर दिया है, पांच
जजों (वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे, गोपाल सुब्रमण्यम और राजीव धवन) इन सभी ने इस
मुद्दे पर अपने अपने सुझाव दिए और कोर्ट भी इनसे इसके संबंध में सवाल किए, इनकी सहमति ये कहती है, कि
इसे हटाने से जम्मू कश्मीर फायदे में रहेगा, और इसके संबंध में सरकार को राज्य में कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 तक
चुनाव कराने की मंजूरी दे दी है,आइए जानते हैं, अनुच्छेद 370 क्या है? कश्मीर में इससे कौन कौन से अधिकार
लागू होते थे और इसके पहले का इतिहास क्या है।
ये फैसला पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सहमति से लागू किया गया, इसमें काफ़ी हंगामा भी हुआ, इसे फैसले
पर पर संसद में काफ़ी गड़बड़ी देखने को मिली, क्योंकि नरेन्द्र मोदी की सरकार में जम्मू कश्मीर में आर्टिकल
370 हटाना बहुत ही ऐतिहासिक फैसला माना जाता है, इससे पहले जब भी इसे हटाने की बात होती थीं तो कोई ना
कोई पॉलिटिकल परेशानी या यहां रहने वाले लोग इसका विरोध करते थे।
आर्टिकल 370 हटाना इतना मुश्किल क्यों है?
जैसे ही आर्टिकल 370 को हटाने के बात चली वैसे ही कुछ स्थानीय लोग भी इससे नाराज़ दिखे, सरकार के अचानक
इस कदम को उठाने से कुछ संगठनों में गुस्से का माहौल था,क्योंकि इसे हटाने से जो लोग अशांति फैलते हैं, अब
उनकी इन सभी घटनाओं पर रोक लग जायेगी,
आर्टिकल 370 क्या कहता है?
आर्टिकल 370 भारत को कश्मीर से जोड़ने का एक जरिया था,वर्ष 2022-23 के लिए जम्मू कश्मीर के लिए वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमण ने 1.42 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया, इस मुद्दे पर विचार करते हुए सीतारमण ने
कहा,कि जम्मू और कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने से 890 केंद्रीय कानूनों को राज्यों में लागू किया
गया,वर्ष 2021-22 के लिए निर्मला सीतारमण ने केंद्र शासित प्रदेश के लिए कुल 18,860.32 की अतिरिक्त मांगे
भी पेश करते हुए और पार्लियामेंट को उसी दिन विचार विमर्श करने की अनुमति देने के लिए कुछ नियमों को हटाने
की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया गया।
आर्टिकल 370 किसने लगाया था?
Article 370 ko kisne lagu kia tha
आर्टिकल 370 को हटाने में सरकार को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा, जब से इसे हटाने का विचार और
नियमों में बदलाव की मांग को लेकर सरकार ने अपना कदम उठाया तो जम्मू कश्मीर के लोगो की नाराज़गी और
पार्लियामेंट में भी गड़बड़ी देखने को मिली, सन 2019 मे ये ऐतिहासिक फ़ैसला भारतीय सरकार ने लिया और
सभी अचंबे में डाल दिया, सबसे पहले इसकी शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह ने की थी, ये 1947 में कश्मीर के
तत्कालीन राजा रहे थे, तब इन्होने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते किए जिसमें इन तीन विषयों (विदेश मामले रक्षा और संचार )के आधार पर बात करते हुए,जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति को एक दूसरे के
अधिकार में करेगा, महाराजा ने मार्च 1948 में शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधानमन्त्री रहते हुए राज्य में एक अंतरिम
सरकार की नियुक्ति की, जुलाई 1949 में भारतीय सविधान में तीन अन्य सहयोगी शेख अब्दुल्ला के साथ
शामिल हुए और जम्मू कश्मीर की विशेष स्थिति के बारे में विचार विमर्श किया, जिससे आर्टिकल 370 को लागू
किया गया। इस प्रावधान को शेख अब्दुल्ला के द्वारा तैयार किया गया।
आर्टिकल 370 का इतिहास
जम्मू और कश्मीर के उस समय के संविधान और प्रस्तावना अनुच्छेद 3 में ये बताया गया था, कि जम्मू और
कश्मीर राज्य भारत के लोगों के समुदाय का एक समान रहने वाला अंग है और रहेगा, अनुच्छेद 5 में कहा गया है
कि कानूनों को लागू करने और विधायी शक्ति ने उन सभी मामलों तक अपनी पकड़ बनाई है,जिनके संपर्क में
पार्लियमेंट को भारत के संविधान के प्रावधानों के अधीन कानून बनने की शक्ति है, संविधान 17 नवंबर 1956
को अपनाया गया,भारत के राष्ट्रपति द्वारा 5 अगस्त 2019 को जारी संविधान आदेश 2019(सीओ
272) की वजह से जम्मू और कश्मीर के संविधान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
आर्टिकल 370 कब हटाया गया?
राष्ट्रपति ने 5 अगस्त 2019 को एक आदेश जारी किया, इससे संविधान में संशोधन हुआ, आदेश में ये कहा गया
कि राज्य की संविधान सभा के विषय का सवाल राज्य की विधानसभा होगी, इसमें इस बात को ही
बताया गया, कि राज्य की सरकार अब से राज्यपाल के समान ही होगी, फिर 9 अगस्त को पार्लियामेंट ने
राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू,कश्मीर और लद्दाख मे मिलाने का प्रस्ताव दिया।
आर्टिकल 370 क्यों हटाया गया?
आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक कानून था, जिससे जम्मू काश्मीर एक अलग राज्य माना जाता था,
लेकीन भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 के होने की वजह लागू नहीं होते थे, जिससे देश की
सरकारें राज्य के संबंध में फैसले नही ले पाती थीं,इस आर्टिकल के विषय में पंडित जवाहरलाल नेहरू और शेख
मोहम्मद अब्दुल्ला के बीच में 5 महीने तक विचार विमर्श हुआ फिर उसके बाद इस आर्टिकल को संविधान
में जोड़ा गया। इसके लिए संविधान सभा सन् 1951 में बनाई गई, इसमें 75 सदस्य थे, सभा को जम्मू
कश्मीर के संविधान का एक लेख जिसमें सभी वरिष्ठ अधिकारी विचार होते है तैयार करने के लिए कहा,ये 1956
को पूरा हुआ, और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष कानून को अपनाया गाया, इसके बाद जम्मू काश्मीर
संविधान सभा का वजूद नहीं रहा।
आर्टिकल 370 की वजह से इसका अपना अलग कानून था।
जम्मू कश्मीर पर अनुच्छेद 376 लागू नही होता था, इस कारण भारत के राष्ट्रपति के पास राज्य के कानून समाप्त करने का अधिकार नहीं था। अनुच्छेद 370 होने की वजह से जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था और जम्मू कश्मीर का अपना ही एक अलग झंडा होता था। आर्टिकल 370 की वजह से भारत के राष्ट्रपति जम्मू कश्मीर में आपातकाल नहीं लगा सकते थे। इसमें कैसे संशोधन किया जाए इस आर्टिकल में इस बात की भी शक्ति थी, ये कहा गया कि राष्ट्रपति जम्मू कश्मीर के संविधान सभा की मंजूरी से ही सुधार कर सकते हैं। आर्टिकल 370 को हटाने के क्या फायदे हैं आर्टिकल 370 तो खत्म हुआ ही साथ ही 35A भी खत्म हो गया है, जिससे राज्य के लोग स्थाई निवास में आते थे, अंत में इसके साथ ही राज्य के फिर से गठन प्रस्ताव पेश किया था,जिससे जम्मू कश्मीर,जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बट गया है, इन दोनों केन्द्र शासित प्रदेशों की कमान लेफ़्टिनेंट गवर्नर के हाथ में है। इसके हटने से सरकार के पास कई अधिकार आ गए हैं, अब आर्टिकल 370 में एक कड़ी बाकी रह गई है, इसके लिए राष्ट्रपति कभी भी बदलाव का प्रस्ताव रख सकते हैं,
इसके हटने से अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू कश्मीर में दुकान, प्लॉट, मकान, जमीन ख़रीद सकता है, जबकि पहले ऐसा करना संभव नहीं था, आर्टिकल 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर की लड़किया देश के किसी भी कोने के लड़के से शादी कर सकती हैं, और उनके जम्मू कश्मीर से संबंध खत्म नहीं होंगे। आर्टिकल 370 आतंकी घटनाओं में बहुत ज्यादा कमी देखने को मिली है और पत्थरबाजी के मामले भी काफी हद तक कम हो गए हैं, लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े मामलों में 88% से भी अधिक कमी आई है,
आर्टिकल 370 के चलते देश का कोई भी नागरिक सरकारी नौकरी नहीं ले सकता था और छात्रवृत्ति नही ले सकता था,
पहले जो कश्मीरी पंडित पहले यहां से चले गए थे, अब वे वापस आ पाएंगे।
FAQs:
आर्टिकल 370 किसने बनाया था?
इस प्रावधान को शेख अब्दुल्ला के द्वारा तैयार किया गया।
कश्मीर भारत का हिस्सा कैसे बना?
26 अक्टूबर 1947, वो तारीख, जिस दिन जम्मू-कश्मीर रियासत भारत संघ में शामिल हुई।
कश्मीर का पुराना नाम क्या था?
कश्मीर का पुराना नाम सतीसर था।